टोक्यो के गेम शो में पुतले से छेड़-छाड़ कर रियल फील लेने की कोशिश, तकनीक भी इंसानों की ठरक से हारी
जापान बड़ा अजीब सा देश है, ऐसा हम इसलिए नहीं कह रहे क्योंकि उससे हमारी कोई खास दुश्मनी है, बल्कि ऐसा कहने के पीछे एक खास वजह है. जापान में कई गेम ऐसे खेले जाते हैं, जिनके बारे में जानकर हमारे यहां लोग शर्म से गड़ जाएंगे. अभी हाल ही में वहां के एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने ऐसा गेम बनाया है, जो हकीक़त से परे है और काफी घटिया भी है. इंसान एक तो खुद ही इस हद तक पहुंच गया है, जहां उसकी कामोत्तेजना समाज पर हावी होती जा रही है. आये दिए बलात्कार, छेड़-छाड़ और अभद्र टिप्पणियां इसी का नतीजा है.
आखिर क्या बुरा है इस गेम में?
टोक्यो गेम शो के दौरान बनाया गया ये गेम यहां आये आगंतुकों को खासा आकर्षित कर रहा था. कारण था कि इस गेम में एक पुतले को वर्चुअल रियलिटी चश्मों के सहारे एक महिला एनिमेटेड करैक्टर में बदल दिया जाता था. फिर लोग इसके स्तनों के साथ खेलते थे. इस शो के आर्गेनाइजर एक खास सॉफ्टवेर डेवलपर M2 कंपनी के साथ मिलकर तकनीक को इस हद तक ले गए कि लोगों को अपनी ठरक मिटाने के लिए एक पुतले का सहारा लेना पड़े.
कैसे काम करती है ये तकनीक?
इसमें एक खास प्रोग्रामिंग की गयी है, जिसे E-Mote का नाम दिया जा रहा है. इसका काम ये है कि ये वास्तविक दुनिया के एहसासों को और प्रवृत्तियों को डिजिटल दुनिया में बदल देता है. फिर खेलने वाले को ऐसा लगता है कि वो गेम करैक्टर के साथ वास्तव में शारीरिक सम्पर्क में हैं. इस गेम में पुतले को लड़की के कपड़े पहनाये गए हैं और उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों पर, खास कर स्तनों पर सेंसर लगाये गये हैं. जब कोई हेडफोन लगाकर इस पुतले को छुएगा तो एनिमेटेड 3D करैक्टर React करेगा. इतना ही नहीं, इसे बनाने वाली कंपनी के एक कर्मचारी का कहना है कि इस गेम से ऐसा फील होता है कि आप भविष्य देख रहे हों. ऐसा भी संभव है कि आप इस वर्चुअल लड़की के साथ प्यार में पड़ जाएं.
ऐसे ही कुछ लोग हैं, जो इंसानियत को शर्मसार करने में कोई कसर बाकी नहीं रहने देना चाहते. कैसी ठरक है ये जो एक निर्जीव पुतले से छेड़-छाड़ करने के लिए लोगों की एक बड़ी भीड़ को आकर्षित कर रही है. क्या इससे बढ़ावा नहीं मिलेगा लोगों को ऐसी घटनाओं को आम ज़िंदगी में आजमाने में? जब लोग डिजिटल वर्ल्ड में एक पुतले से मज़े लेने की सोच सकते हैं, तो उनका इस संसार में क्या इरादा होगा, ये सोच कर ही रूह कांप उठती है. खैर इंजीनियरों के लिए तो ये किसी वरदान जैसा है, क्योंकि किस्मत के मारों को हकीक़त में लड़की भाव नहीं देती, कम से कम वो यहां कुछ सोच तो सकते हैं.
Source: TheSun
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