उसके दोस्त उसे 'Arnold Schwarzenegger’ कह कर बुलाते हैं. इंदौर की गलियों में जब वो चलता है, तो लोग कहते हैं, 'देखो, इंदौर का सिंघम आ गया'. जी हां! इंदौर के रहने वाले 25 वर्षीय मोतीलाल दायमा वाकई में किसी भी दबंग या सिंघम से कम नहीं है. मोतीलाल मध्य प्रदेश सरकार के पुलिस डिपार्टमेंट में कांस्टेबल के पद पर तैनात है.
मोतीलाल अब तक 4 बार मिस्टर इंदौर का ख़िताब जीत चुके हैं और फ़िलहाल मिस्टर इंडिया बनने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. मोतीलाल अपने सपनों की उड़ान को यहीं नहीं रोकना चाहते, इसके बाद आगे चल कर वह विश्व स्तर की बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिताओं को जीत कर अपना और देश के नाम रौशन करना चाहते हैं.
हमारे देश में सफलता इसलिए भी कुछ ज़्यादा ही मायने रखती है क्योंकि इसे पाने के लिए हमारे यहां इंसान को कुछ ज़्यादा ही कीमत चुकानी पड़ती हैं. अब मोतीलाल को ही ले लीजिए, मोतीलाल को हर माह तनख्वाह के रूप में महज़ 17,050 रुपये मिलते हैं. वहीं अपने बॉडी बिल्डिंग चैम्पियन बनने के सपने को पूरा करने के लिए हर महीने अपनी खुराक के ऊपर 50 हज़ार से ज़्यादा रुपये खर्च करने पड़ते हैं.
मोतीलाल के सपनों को पूरा करने के लिए उनकी मां ने अपने गहने गिरवी रख दिए हैं. उनके पिता भी अपना फर्ज़ अदा करते हुए धार क्षेत्र में स्थित जमीन और विजय नगर में स्थित मकान को गिरवी चुके हैं. मोतीलाल अपने मसल्स को रीबूट करने के लिए हर रोज़ डाइट में 20-30 अंडे, 4 किलो चिकन और 4 लीटर दूध लेते हैं.
मोतीलाल ने 2012 में पुलिस सेवा को ज्वाइन किया था. अभी तक उसे पुलिस डिपार्टमेन्ट की तरफ़ से अधिकारिक रूप से कोई सहायता नहीं मिली है. एक बार दो पुलिस अधिकारियों ने व्यक्तिगत रूप से 2 लाख रुपये देकर उसकी मदद ज़रूर की थी. कई मौकों पर नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों ने उसे ट्रेनिंग में मदद करने के आश्वासन दिए, लेकिन किसी ने अभी तक कोई मदद नहीं की है.
फ़िलहाल जीतने का उत्साह और वेल विशर्स की दुआएं ही मोतीलाल की आगे बढ़ने में मदद कर रही हैं.
मोतीलाल का कहना है, 'चाहे मुझे अपने आपको गिरवी रखना पड़े, लेकिन एक दिन मैं इंटरनेशनल लेवल की बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप ज़रुर जीत कर दिखाऊंगा. अभी मैं अगले वर्ष होने वाली नेशनल बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप के ऊपर अपना ध्यान लगाये हुए हूं. मुझे उम्मीद है, नेशनल चैंपियनशिप जीतने के बाद सरकार मेरी मदद अवश्य करेगी.'
हम भी मोतीलाल के लिए दुआ करते हैं कि वो अपनी मेहनत के बल पर यह प्रतियोगिता ज़रुर जीतें और आगे जा कर विश्व स्तर पर भारत का नाम रौशन करें.
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