हाल
ही में एक खबर आई थी, जिसमें कोलकाता के एक रेस्टोरेंट ने एक ड्राइवर को
अपने यहां बैठने से मना कर दिया था. क्योंकि रेस्टोरेंट को लगा कि कपड़े और
स्टेटस से वो ड्राइवर वहां बैठने लायक नहीं था. अब पुणे से एक खबर आ रही
है, जिसमें एक महिला के साथ भेदभाव की बात सामने आई है. पुणे निवासी 55
वर्षीय Jacqui को शहर के एक बड़े और पुराने स्पा 'Four Fountains Spa' ने
सर्विस देने से इंकार कर दिया. Four Fountains Spa को उनकी त्वचा पर सफ़ेद
दाग होने के कारण उन्हें सर्विस देना शायद ठीक नहीं लगा.
'मैं
उस दिन थोड़ा रिलैक्स होना चाहती थी. इस पार्लर में मैं पहली बार गई थी और
मैंने वहां मसाज के लिए कहा. शुरू में स्टाफ ने स्वागत किया और फिर मुझे
लेटने को कहा. मैं लेटकर थेरेपिस्ट के आने और मसाज करने का वेट कर रही थी.
जब थेरेपिस्ट मेरे पास आई, तो उसने मेरे हाथों और पैरों के सफ़ेद दागों को
चेक किया और फिर कमरे से बाहर चली गई. मैं वहां लेटकर उसके आने का इंतज़ार
करती रही, लेकिन जब उसके लौटने की कोई गुंजाइश नज़र नहीं आई, तो 15 मिनट बाद
मैंने मैनेजमेंट से इसका जवाब मांगा. फिर तो उनके जवाब से मैं दंग रह गई.'
Pune Mirror
15 मिनट के बाद Jacqui से कहा गया कि थेरेपिस्ट ने उनका मसाज करने से इनकार कर दिया है, क्योंकि उन्हें स्किन प्रॉब्लम है.
Jacqui को पिछले 40 सालों से त्वचा पर ऐसी समस्या है, लेकिन उन्होंने स्कूल के अलावा कभी भी इस तरह के अपमान का सामना नहीं किया था.
इस घटना के 15 दिनों बाद स्पा को अपनी गलती का एहसास उस वक्त हुआ, जब Pune Mirror ने इस घटना की रिपोर्टिंग करने का निर्णय लिया.
स्पा के डायरेक्टर सुनील राव ने कहा,
'ये
हमारे तरफ से गलती हुई है. हम अपनी गेस्ट से बिना किसी शर्त के माफ़ीनामा
भेजकर माफ़ी मांग रहे हैं. हमारे पास एक स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम है,
जहां थेरेपिस्ट्स को ट्रेंड किया जाता है, कि वे स्किन प्रॉब्लम के साथ आये
गेस्ट्स को भी थेरेपी दें, ये संक्रामक नहीं है. हमने उस थेरेपिस्ट के
खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है. अपने मैनेजर्स को भी हमने हिदायत दी है कि वे टीम
को दोबारा ट्रेनिंग दें, जिससे इस तरह की घटनाएं स्पा में फिर कभी न हों.'
source: enkivillage
हालांकि Jacqui को किसी भी प्रकार का माफीनामा पार्लर की तरफ से नहीं मिला है, वो कहती हैं,
'मैं
एक मजबूत इन्सान हूं. मैं इस तरह का दुर्व्यवहार झेल सकती हूं और इससे
बाहर निकल सकती हूं. लेकिन हर कोई इसे नहीं सह सकता और न ही इसके खिलाफ
एक्शन ले सकता है. मैं महसूस करती हूं कि ये समाज की ज़िम्मेदारी है कि मेरे
जैसी स्थिति से गुजर रहे लोगों को दुर्व्यवहार और बहिष्कार का सामना न
करना पड़े.'
ये घटना बेहद निंदनीय है. हम उम्मीद करते
हैं कि समाज में लोग त्वचा सम्बन्धी इन बीमारियों के प्रति जागरूक हों,
जिससे Jacqui की तरह किसी और को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े.
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