आपने
भले ही लेनिन से लेकर मार्क्स को पढ़ा हो और उनके विचारों के अनुसरण भी
करते हों, पर जब भी आस्था का सवाल आता है, तो हाथ अपने आप जुड़ जाते हैं, सर
इबात में झुक जाते हैं. ये आस्था ही है, जो लोगों के दिलों में उम्मीदों
को जिन्दा रखे हुए है. ऐसी ही उम्मीदों का साक्षी है भारत-पाकिस्तान सीमा
के पास जैसलमेर स्थित तनोट राय माता का मंदिर.
इस मंदिर में एक संग्रहालय है, जिसमें 1965 और 1971 की जंग के दौरान पाकिस्तान की तरफ से दागे गए जीवित बम आज भी रखे हुए हैं.
जंग के समय पाकिस्तान ने जैसलमर पर कब्ज़ा के उद्देश्य से इस क्षेत्र
में कई बम बरसाए, जिनमें से कई बम इस मंदिर के आस-पास भी आकर गिरे, पर यहां
गिरे सभी बम फटने से पहले ही बेकार हो गए.
यहां के लोगों का मानना है युद्ध में पाकिस्तान की हार की वजह तनोट माता का आशीर्वाद है.
1965 की लड़ाई के समय पाकिस्तान की तरफ से की गई बमबारी में 3000 बम
मंदिर के आस-पास गिरे पर कोई भी बम मन्दिर को खरोंच तक नहीं पहुंचा पाया.
ऐसा कहा जाता है कि 300 बम मन्दिर के प्रांगण में गिरने के बावजूद नहीं फट
पाए थे.
इस मंदिर के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि माता के आशीर्वाद की
महत्ता को देखते हुए मेजर जय सिंह ने इनकी सुरक्षा के साये में 13 ग्रेनेड
की एक कंपनी और BSF की दो कंपनियों के साथ दुश्मनों का सामना किया था.
आपको इस मंदिर के बारे में आगे बताने से पहले बता दें कि 1965 की लड़ाई
में पाकिस्तानी सेना भारत के 4 किलोमीटर तक अंदर आ गई थी, जिसका भारतीय
सेना ने मुकाबला करते हुए उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था.
अब यह मंदिर BSF के नियंत्रण में हैं, जिसमें रख-रखाव से लेकर पूजा की जिम्मेदारी BSF के जवान ही संभालते हैं.
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