अपनी खोज से देश बदलना चाहते हैं 17 साल के जुड़वां भाई. 22 रिसर्च पेपर्स और 7 पेटेंट्स हैं इनके नाम
"न पूछो कि मेरी मंज़िल कहां है, अभी तो सफ़र का इरादा किया है
न हारूंगा हौसला उमर भर, ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है"
ये
पंक्तियां 17 साल के युवराज और यशराज के लिए ही बनी हुई हैं. इनकी आंखों
में जीत के सपने हैं, जो हिन्दुस्तान को बदलने का माद्दा रखते हैं. ऐसा
लगता है कि आने वाला समय इनके कदमों में ही है. जिस उम्र में बच्चे कार्टून
देखा करते हैं, उस उम्र में यशराज और युवराज ने विज्ञान से दोस्ती कर ली.
इनकी दोस्ती कुछ कदर हुई कि अब वे इसी के हो गए. 7 साल की उम्र से विज्ञान
के क्षेत्र में रिसर्च करनी शुरु की, जो अब तक जारी है और आगे भी जारी
रहेगी. 17 साल की उम्र में वे 22 रिसर्च पेपर पर काम कर चुके हैं, अपनी 7 रिसर्च का वे पेटेंट करवा चुके हैं. इसके अलावा वे Zenith Vipers के को-फाउंडर्स भी हैं. अपनी मेहनत और लगन के कारण वे Tedex जैसे प्लेटफॉर्म पर बुलाए जा चुके हैं. अब जल्द ही ब्रिटेन की एक संस्था इन्हें विज्ञान में अद्भुत खोज के लिए सम्मानित करेगी. आइए, आपको देश के इन प्रतिभाशाली बच्चों से रू-ब-रू करवाते हैं.
युवराज
और यशराज, दोनों जुड़वा भाई हैं. वे अपने पेरेंट्स के साथ दिल्ली के
पीरागढ़ी मेट्रो स्टेशन से 200 मीटर दूर, पश्चिम विहार एनक्लेव में रहते
हैं. वर्तमान में वो दिल्ली के ही Indraprastha World School में 12th
क्लास में पढ़ रहे हैं. शालीनता, सरलता और मुस्कान, दोनों भाइयों की पहचान
है. इनसे मिलने के बाद आपको महसूस होगा कि मेहनती और समर्पित लोग कैसे होते
हैं.
एक कार्यक्रम में जाते हुए दोनों भाई.

इनकी सारी रिसर्च समाज को समर्पित हैं.
अब तक जितने भी रिसर्च पेपर्स पर युवराज और यशराज ने काम किया है, वो समाज को समर्पित हैं. आइए, इनकी रिसर्च के बारे में जानते हैं.
Bajra Purifier - विज्ञान
जगत में एक अनोखी खोज है. अब बाजरे की मदद से पानी को शुद्ध किया जा सकता
है. इसकी मदद से रासायनिक और ज़हरीले तत्वों को पानी से दूर किया जा सकता
है. यह खोज वास्तव में अद्भुत है.
यशराज बताते हैं कि इस खोज के पीछे मेरा मक़सद देश के ग्रामीणों को स्वच्छ और साफ़ पानी उपलब्ध कराना है, ताकि लोगों को किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़े.All In One Medical Assistance Machine- यशराज और युवराज इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हैं. दरअसल, यह एक ऐसा पोर्टेबल डिवाइस है, जिसकी मदद से आम इंसान की सभी शारीरिक जांचें एक साथ की जा सकती हैं. अगर यह प्रोग्राम सफ़ल हो गया, तो ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे नागरिकों को काफ़ी लाभ मिलेगा.
Brain Controlled Drone- Innovation के दौर में आज हर काम ड्रोन के ज़रिए किया जा रहा है. मगर, यश और युवराज का ड्रोन बहुत ही ख़ास है. क्योंकि अब आपके दिमाग से ड्रोन चलेगा.

बेटे की उपलब्धि पर पिता राजेश भारद्वाज कहते हैं कि 'हमें गर्व होता है कि हमारे दोनों बच्चे समाज के लिए कुछ कर रहे हैं. इनकी सभी खोजें समाज को समर्पित हैं.' वहीं मां संजना भारद्वाज का कहना है कि 'हमने शुरू से ही तय कर रखा था कि हमारे बच्चे नौकरी न करके, समाज की भलाई के लिए अपना योगदान दें, और वे ऐसा कर भी रहे हैं.'

25 नवंबर को इन्हें 'कर्मवीर चक्र' से सम्मानित किया जाएगा.

विज्ञान से मोहब्बत है
यश और युवराज हंसते हुए बताते हैं कि 'जब हम छोटे थे, तो हम नेशनल जियोग्राफी और डिस्कवरी चैनल देखा करते थे. देखते-देखते हमें विज्ञान से मोहब्बत हो गई. शो ख़त्म होते ही हम वैज्ञानिकों और शो के एंकर को ई-मेल या फेसबुक पर मैसेज कर सवाल पूछते थे. कई बार ऐसा हुआ है कि हमें इसका जवाब भी मिला है.'

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